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गुजरात: कडदा प्रथा" के खिलाफ किसान सड़कों पर, आप पार्टी ने मनाया काला दिवस

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गुजरात  Published by: Vithal Nanji Kanani , Date: 15/10/2025 03:18:41 pm Share:
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  • Published by: Vithal Nanji Kanani ,
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  • 15/10/2025 03:18:41 pm
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गुजरात: किसानों के साथ जो अन्याय हो रहा है, उसके खिलाफ न्याय की लड़ाई और किसानों के हक एवं अधिकारों की लड़ाई के लिए आम आदमी पार्टी गुजरात के विभिन्न नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता और किसान एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं। यह लड़ाई खास तौर पर बोटाद में “कडदो प्रथा” (कपास में कडदा प्रथा) को पूरी तरह समाप्त करने की मांग को लेकर है। गुजरात के किसानों ने बार-बार बोटाद मार्केटिंग यार्ड के अधिकारियों और व्यापारियों से इस “कडदा प्रथा” को बंद करने की मांग की थी, क्योंकि गुजरात के सभी खातेदार किसानों को यह प्रथा बिलकुल भी मंजूर नहीं थी। किसानों ने बार-बार लिखित और मौखिक रूप से रजुआत की, लेकिन बोटाद मार्केटिंग यार्ड के अधिकारी और व्यापारी कोई जवाब नहीं दे रहे थे।

जब किसानों की बात नहीं सुनी गई, तो मजबूर होकर किसानों को सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ा। लेकिन अफसोस की बात यह है कि गुजरात सरकार में बैठे किसी भी विधायक, सांसद, मंत्री, गृह मंत्री, कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री, या सत्ताधारी दल के प्रदेश अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को गुजरात के किसानों की जरा भी चिंता नहीं रही। यहां तक कि केंद्र में बैठे सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी गुजरात के किसानों के अधिकारों और हकों की परवाह नहीं रही। अगर सच में सरकार को किसानों की फिक्र होती, तो किसानों को बोटाद मार्केटिंग यार्ड के खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने या “किसान महापंचायत” आयोजित करने की नौबत ही नहीं आती। अगर गुजरात सरकार ने समय रहते “कडदा प्रथा” को खत्म कर दी होती, तो किसानों को यह आंदोलन करने की जरूरत नहीं पड़ती।

जिन नेताओं, पदाधिकारियों या अधिकारियों ने बोटाद मार्केटिंग यार्ड में “कडदा प्रथा” के नाम पर भ्रष्टाचार किया है, उनकी जांच की जानी चाहिए। वर्षों से इस “कडदा प्रथा” और तौल-माप में खुलेआम लूट चल रही थी, लेकिन गुजरात सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। मेहनतकश किसान लूटते रहे, और सरकार खामोश रही। अगर सरकार ने थोड़ा भी ध्यान दिया होता, तो पुलिस और किसानों के बीच ऐसी झड़प नहीं होती। इस घटना में कई पुलिसकर्मी और अधिकारी घायल हुए हैं। आंदोलन के दौरान पुलिस ने किसानों पर भारी लाठीचार्ज किया, और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए टियर गैस के गोले छोड़े। कई निर्दोष लोग घायल हुए हैं, और कई निर्दोष गांव वाले भी इसका शिकार बने हैं।

बताया जाता है कि हडदड गांव में पुलिस ने घरों में घुसकर लोगों को मारा-पीटा। किसी ने भीड़ में पुलिस और पुलिस की गाड़ियों पर पथराव किया, जिससे गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई। इसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज और टियर गैस का इस्तेमाल किया। इस घटना में पुलिस और किसानों के बीच सीधा टकराव हुआ। संभावना है कि कुछ विरोधी तत्वों, गुंडों या किसान-विरोधी ताकतों ने जानबूझकर “किसान महापंचायत” को रोकने के लिए यह उपद्रव कराया हो। इसकी गहराई से जांच होनी चाहिए।

इस अन्याय के खिलाफ गुजरात के कई गांवों और शहरों में किसानों और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किए। सभी ने सिर और हाथ पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। राजकोट शहर और मेटोडा जी.आई.डी.सी. क्षेत्र में भी आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं और किसानों ने “काला दिवस” मनाया। दिनांक 12/10/2025, रविवार को आम आदमी पार्टी और किसानों ने इस दिन को “काला दिवस” घोषित किया। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि आम आदमी पार्टी के नेता किसान हित में शांतिपूर्वक लड़ रहे थे। आम आदमी पार्टी किसान सेल के प्रदेश अध्यक्ष श्री राजूभाई करपड़ा, जो स्वयं किसान हैं, किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे किसानों की पीड़ा और समस्याओं को भलीभांति समझते हैं।

इसके अलावा, किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में राजकोट वार्ड नंबर 12 के आप नेता श्री मिलनभाई सोजीत्रा, श्री महेशभाई राठौड़ (वार्ड नं. 12 अध्यक्ष), श्री दिलीपसिंह वाघेला और अन्य आप कार्यकर्ताओं ने सिर पर काली पट्टी बांधकर विरोध किया। जनता और किसानों को न्याय मिले तथा “कडदा प्रथा” को पूरी तरह समाप्त किया जाए — यह न्याय एवं अधिकार समिति गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष श्री परसोतमभाई नाथाभाई मुंगरा की प्रमुख मांग है।
 

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